मलेरिया की दवा कोरोना में कारगर कितना?

Covid 19 यानी कोरोना पर मलेरिया की दवा प्रभावी ढंग से काम कर रही है।

रोनाल्ड रास ने प्लास्मोडियम पैरासाइट की खोज की थी जो मच्छरों से फैल रहा था इसके लिए इन्हें 1902 में नोबेल प्राइज मिला था।

अब बात क्लोरोक्वीन HCQ

यह दवा मलेरिया की है पर कोरोना में काम कर रही है क्लोरोक्वीन की खोज 1934 में हुई थी तब से इस दवा का उपयोग हो रहा है।
सरकार ने 10 करोड़ हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन टेबलेट का आर्डर दिया है।
पैरासाइट प्लास्मोडियम जो एक प्रोटोजोअन है जो मच्छरों के जरिये मनुष्यों में फैलता है।

भारत व भारत के पड़ोसी देश का टेम्परेचर मच्छरों के लिए एक उपयुक्त होता है जिससे वर्ष के हर महीने भारत के पास इसका स्टॉक रहता है भारत 20 करोड़ हर महीने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का उत्पादन करता है जिसका निर्यात भी करता है इस समय अमेरिका सहित विश्व के 30 देश भारत से इस दवाई के निर्यात करने की मांग कर रहे है इसे बनाने के लिए सबसे पहले कच्चे मेटेरियल की आवश्यकता होती है। यह कच्चा मटेरियल ज्यादा मात्रा में चाइना से भारत के फार्मा कंपनी मंगाती हैं।

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन (मलेरिया की दवा) कोरोना में कैसे काम करती है?

कोरोना वायरस को शरीर के सेल कोशिका में प्रवेश करने के लिए रिसेप्टर ACE2 (फेफड़े और अन्य अंगों में मौजूद) की आवश्यकता होती है। क्लोरोक्वीन लाइसोसोम (वृद्धि) के पीएच को बदल देता है। जिससे ACE2 रिसेप्टर कोशिकाओं में ठीक से नहीं बनता है। इस प्रकार वायरल प्रवेश बाधित हो जाता है।
(ACE 2 एक एंजाइम है फेफड़े आतं के बाहरी आवरण से अटैक होता है)

To need enter in to cell by Covid2019 needs receptor ACE2 (present in Lungs and other other organs). Chloroquine changes the pH of lysosomes (increase). Hence this receptor is not properly formed in the cells. Thus viral entry inhibited.

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