
कोविड के त्रासदी लोकल से ग्लोबल में बदलने की क्रोनोलॉजी:-
नवंबर 2019 में चीन के वुहान प्रान्त में फ्लू वाले मरीज अचानक से बढ़ जाते है । इन मरीज़ो की मृत्यु दर आश्चर्यजनक रूप से ज्यादा थी और ये अलग तरह का तेजी से फैलने वाला फ्लू था।
इस तथ्य को बताने वाले डॉक्टर के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है ।
कुछ दिनों बाद उस डॉक्टर की इसी बीमारी की वजह से मृत्यु हो जाती है।
तब WHO ने चीन से आग्रह किया कि उसे इन मरीज़ो तक पहुंचने दिया जाए ।
चीनी सरकार मोलतोल के बाद इसकी इजाजत दे भी देती है , बदले में चीन के पिट्ठू WHO के मुखिया इस घटना को अंडरप्ले करते है।
31 दिसंबर 2019 को चीन से सटा देश ताइवान WHO को चेता रहा होता है कि ये एक नए तरह का वायरस है जो मनुष्यों से मनुष्यों के बीच तेजी से फैल रहा है ।
इसके 15 दिन बाद भी WHO इससे इनकार करता है ।
इस बीच अमेरिकी खुफिया विभाग अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग में ट्रम्प प्रशाशन के कुछ गिने चुने लोगो को कोविड के खतरे के बारे में चेताता है।
इस सूचना के आधार पर तैयारी करने के बजाय ये जिम्मेदार लोग शेयर मॉर्केट में अपने करोड़ो डॉलर के शेयर तुरंत बेच देते है ।
चूंकि अमेरिका में इस साल नवम्बर में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले है इसलिए ट्रम्प प्रसाशन ऐसा कोई काम नही करना चाहता था जिससे आर्थिक गतिविधियों में कोई सुस्ती आए ।
लिहाज़ा वो WHO की दी गई जानकारी के अनुसार आगे बढ़ता है । मतलब कोई भी प्रोएक्टिव तैयारी नही ।
आप ट्रम्प के भाषणों में इसे देख सकते है ।
यही काम ट्रम्प के लगूवा-भगूवा दुनिया के अन्य नेता भी करते है जिनमे ब्रिटेन, ईटली, स्पेन, जापान , ब्राज़ील, पूरा अरब वर्ल्ड, पाकिस्तान और भारत जैसे देश प्रमुख है ।
कुछ देश ऐसे भी है जिन्होंने WHO पर विश्वास करने के बजाय खतरे को भांपते हुवे अपनी तैयारी बेहतर तरीके से की । इनमे ताइवान, दक्षिण कोरिया और जर्मनी प्रमुख रूप से है।
भारत का एक राज्य केरल तो और भी आगे निकला ।
उसने न WHO पर भरोसा किया और न अपनी केंद्रीय सरकार के भरोसे बैठा रहा ।
आज तस्वीर बहुत हद तक क्लियर हो चुकी है कि जिन्होंने इस बीमारी को पहले ही भांप लिया था वो सबसे कम बुरी स्थिति में है।
WHO को अमेरिका सालाना 432 मिलियन डॉलर का चंदा देता है और चीन सिर्फ 42 मिलियन डॉलर ।
ऐसे में ट्रम्प का खिसियाना स्वाभाविक है ।
इसी खिसियाहट में कभी वो क्लोरोक्विन का शिगूफ़ा छोड़ते है तो कभी WHO की फंडिंग रोकने का ।
खैर , इस पूरे क्रोनोलॉजी के अनुसार इस त्रासदी को फैलाने की जिम्मेदारी उस संस्था की है जिसका काम ही है ऐसी लापरवाहियों को रोकना।