Janta corfew || Doctor Niraj samajsevi

Hospitals that continue performing elective procedures during the COVID-19 pandemic are irresponsible and short sighted. In Wuhan, one study showed 41% of new infections were transmitted in the hospital – to previously hospitalized patients and healthcare workers. If we learn anything from colleagues around the world who are forced to ration medical care, it’s that we must act swiftly to minimize unnecessary exposure to our hospitals. Patients will die in this pandemic. So will doctors, nurses and other healthcare workers. Cancellation of elective procedures is an important step to help flatten the coronavirus curve.

The COVID-19 pandemic will stress hospital resources to their breaking points. This demands thoughtful consideration about resource utilization, saving critical personnel, equipment and protective gear for those who need them most. We cannot allow elective surgeries to use resources that should be saved for critically ill patients. It’s time to preserve as many hospital beds, intensive care beds, ventilators and personal protective equipment as possible. Many hospitals run on very lean supply chains, choosing to maintain only a few days or weeks’ worth of some equipment, like N95 respirators. That means there may not be enough personal protective equipment to go around.
Operating rooms are the economic engines of hospitals across the country and cancelling procedures will admittedly cause a massive financial impact on hospitals. Each year in the United States, more than 53 million elective surgeries and colonoscopies are performed, leading to $472 billion in outpatient revenue to healthcare systems. As a result, some hospital administrators may delay the decision to cancel elective cases, fearing the deep financial impacts this will have on the bottom line. Finances must, however, be a secondary concern. If we wait, it will cost significant human life.

Every unprotected patient interaction places healthcare workers at risk for infection, which will pull us off the job. Healthcare workers like me are at unique risk of being infected with coronavirus, especially when performing life-saving airway procedures, like inserting a breathing tube. We must wear extensive protective gear to prevent ourselves from being infected in viral hot zones. Today, most offices and surgery centers are not equipped with suitable gear to screen or test patients who are worried about infection. Data from South Korea, where widespread coronavirus testing has occurred, indicates that an asymptomatic or mildly affected person who shows up for elective surgery may actually be shedding lots of virus.
We can’t afford to have the healthcare workforce out of commission. That means aggressively reducing exposure to the virus and maintaining adequate personal protective equipment available to each provider.
From babies to the elderly, elective and non-essential surgeries often meaningfully impact patients’ lives or are important for health screening—like colonoscopies. But today, healthy people should stay away from hospitals and doctors’ offices. These cancellations will be devastating for patients who have waited for months and planned their lives around a surgery date. Social distancing, broadly and properly understood, includes delaying truly elective care for a more opportune time – in the future when COVID-19 is under control.
The Surgeon General, Centers for Disease Control and the American College of Surgeons agree that all non-essential procedures should be cancelled. Do the right thing and aggressively cancel everything non-essential.
Surgeons: responsibly cancel your elective cases.
Anesthesiologists and CRNAs: Work collaboratively with surgeons to prioritize needs and refuse to anesthetize elective cases.
Hospitals: Be leaders and support this process as fast as possible.
Patients: If your upcoming surgery hasn’t been cancelled, call your doctor and reschedule for the future.
We will work hard through the pandemic taking care of critically ill patients. And when the pandemic is over, we will work just as hard to get all these surgeries back on the schedule.
Dr Niraj Yadav (Samajsevi)
Eye surgeon
MS ophtha
FICM, FID, NDEP

चिकित्सकों के लिए COVID 19 डिसीज़ के संदर्भ में दिशा निर्देश…

चिकित्सकों के लिए COVID 19 डिसीज़ के संदर्भ में दिशा निर्देश…

* हास्पीटल में रोज धुली हुई अप्रन/गाउन पहनना सुनिश्चित करें
* मास्क व टोपी पहनें
* चश्मा लगाएं
* हर मरीज को छूने के बाद,हाथ और स्टेथोस्कोप को सेनेटाइज़र से साफ करें
* अपने चैम्बर को हर 3 घंटे पर सेनेटाइज करें (मेज, कुर्सी, इक्सामिनेशन टेबल ,दरवाजे, 7 फीट तक की दीवार)
* चेम्बर में मरीज के अलावा सिर्फ एक ही व्यक्ति को आने दें
* मरीज से देर तक अनावश्यक बातें न करें
* चेम्बर व अस्पताल में क्रास वेंटिलेशन का ख्याल रखें
* मरीजों से विदेश यात्रा ( चीन, साउथ कोरिया, ईरान, इटली, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी) या इन देशों से आए यात्रियों के सम्पर्क में आने की हिस्ट्री लेना न भूलें
(खासतौर पर टैक्सी/टेम्पो चालकों, रिक्शा चालकों, होटल स्टाफ, हास्पीटल स्टाफ, पान/चाय विक्रेताओं, दुकानदारों से)
* अपने चिकित्सालय में लोगों को अनावश्यक रुप से आने और भीड़ लगाने से रोकें,
* इंतजार करते मरीजों को एक दूसरे से दूरी बनाकर बैठने को कहें
* सरकारी अस्पतालों में नए पर्चे के लिए लाइन लगवाने के बजाय यथासंभव पुराने पर्चों पर ही मरीज देख कर उपचार लिख दें
* जांच के लिए सिर्फ जिन लोगों को तुरन्त जरूरत हो, उन्ही को भेजे
* मरीजों और परिजनों को मास्क,गमछा, रूमाल,साड़ी,दुपट्टा या हिज़ाब से मुंह ढकने को कहें
* जिनको तुरन्त जरूरत न हो उन मरीजों को कम से कम 15 दिन बाद ही बुलाएं
* जांच, रिपोर्ट, पुराने कागजों को यथासंभव छूने से बचें
* करेंसी नोट गिनने, छूने से बचें
* साबुन से हाथ धोने में लापरवाही न बरतें, प्रोटोकॉल का पालन करें
* चेहरे, नाक ,आंख, मुंह को छूने से बचें
* हाथ मिलाने, गले मिलने, चूमने से बचें, दूर से नमस्कार करें
* पान,गुटखा, पान मसाला, सुर्ती,खैनी, च्वींगम,इलाइची जैसी मुंह मे लार इकट्ठा करने वाली चीजों के सेवन से खुद भी बचें और दूसरों को भी सार्वजनिक रुप से प्रयोग न करने के लिए प्रेरित करें
* यथासंभव अपना हाथ जेब में रक्खे और दरवाजे खोलने के लिए कुहनी और कंधे का इस्तेमाल करें
* खांसने/ छींकने के समय कागज, रूमाल, टीस्यू पेपर, मुड़ी हुई कुहनी का प्रयोग करें, और खांसने छीकने के बाद उन्हें ठीक से डिस्पोज़ कर दें
* इलेक्टिव प्रोसिजर्स को यथासंभव 15 दिन के लिए टाल दें
* अपने मरीजों को घर पर ही रहने और सार्वजनिक वाहनों (बस, ट्रेन, टेम्पो, टोटो, हवाई जहाज) के प्रयोग से व भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचने को कहें
* 60 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों, दिल और श्वांस की बीमारियों व डाइबिटीज़ ,कैंसर ,इम्यूनो डिफीसिंएंसी से ग्रसित लोगों, स्टेरायड लेने वाले, अंगप्रत्यारोपण वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दें
* लगातार गरम पेय पदार्थों का सेवन करके शरीर को सजलीकृत रखने की सलाह दें, ठंढे पेय व बिना पूरी तरह से पके भोजन से परहेज करने को कहें
* विदेश यात्रा से लौटे या विदेशी यात्रियों के सम्पर्क में रहे लोगों को 15 दिन तक घर पर ही परिवार वालों से दूरी बनाकर अलग कमरे में रहने को कहें
यदि इनमें खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ के लक्षण हों तो उन्हें जांच के लिए पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय जिला चिकित्सालय, होली गैट तथा जिला संयुक्त चिकित्सालय वृंदावन मथुरा स्थित लैब में जांच के लिए भेज दें.
जिन मरीजों को भर्ती की आवश्यकता हो उन्हें आइसोलेशन वार्ड के लिए रेफर कर दें
* COVID 19 से सम्बंधित मरीज व सम्पर्क में आए व्यक्तियों की जानकारी (नाम,पता,मोबाइल नम्बर ) cmomtacampr@gmail.com
पर सूचित करें।
*अपने चिकित्सालय की एम्बुलेंस को भी हर प्रयोग के बाद सेनेटाइज कराएं
* वार्ड में हर बेड, स्टूल, ड्रिप स्टैंड, कवर्ड को हर 6 घंटे पर सेनेटाइज कराएं
* सक्शन मशीन, आक्सीजन सिलेंडर ,वेइंग मशीन को हर प्रयोग के बाद सेनेटाइज़ कराएं
* नेबुलाइजेशन के लिए हर बार नया सर्किट प्रयोग करे
* हर मरीज को ग्लब्स पहन कर ही छुएं
* परसनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट पहनने में लापरवाही न बरतें
* अस्पताल मे लिफ्ट, सीढ़ी की रेलिंग, काउंटर, वेटिंग हाल मे रक्खी कुर्सियों , स्विच इत्यादि को हर 6 घंटे पर सैनिटाइज कराएं
* शौचालय के दरवाजे के हैंडिल, सिटकनी, नल, बेसिन, नाब को हर 3 घंटे पर सेनेटाइज कराएं
* भर्ती मरीजों को यथासंभव शीघ्र डिस्जार्ज कर दें
* अपने चिकित्सालय में खांसी और श्वांस से संबंधित मरीजों के लिए अलग बैठने और उपचार देने की व्यवस्था रखें

याद रखें भारत के लिए अगले 15 दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इन्हीं दिनों में हमारे प्रयास तय करेंगे कि यह महामारी हमारे देश में विकराल रुप से फैल कर अनेकों असामयिक मौतों का कारण बनेगी या साधारण रुप से अपनी साइकिल पूरी करके समाप्त हो जाएगी
* अपनी व अपने परिवार व स्टाफ की सुरक्षा मे लापरवाही न बरतें और आने वाले दिन सकुशल बिताएं

भवदीय..
डॉ. नीरज समाजसेवी
परिषद प्रमुख (RSP)

Immunity: personal and social!!

Herd Immunity

As Europe was declared the epicentre of the novel coronavirus outbreak last week, Britain announced a different strategy to tackle the situation. Officials said that Britain would contain the spread of the virus but would not suppress it completely to build up a degree of ‘herd immunity’.

Herd Immunity

Herd immunity is when a large number of people are vaccinated against a disease, lowering the chances of others being infected by it.
When a sufficient percentage of a population is vaccinated, it slows the spread of disease.
It is also referred to as community immunity or herd protection.
The decline of disease incidence is greater than the proportion of individuals immunized because vaccination reduces the spread of an infectious agent by reducing the amount and/or duration of pathogen shedding by vaccines, retarding transmission.
The approach requires those exposed to the virus to build natural immunity and stop the human-to-human transmission. This will subsequently halt its spread.
Can it work?

Globally, this strategy has been criticized.
COVID-19 is a new virus to which no one has immunity. More people are susceptible to infection.
The goal seems to have been delaying urgent action to allow an epidemic to infect large numbers of people.
To combat COVID-19, there is an urgent need to implement social distancing and closure policies.

आइये जानें; हमारा शरीर वायरस के हमलों से कैसे निपटता है?

आइये जानें; हमारा शरीर वायरस के हमलों से कैसे निपटता है?

एक बात सबसे पहले जानने की है कि वायरस बड़े विशिष्ट रोगकारक हैं जो सिर्फ खास या बहुत सीमित प्रकार की कोशिकाओं को ही अपना निशाना बनाते हैं. वायरस एक प्रकार की निर्जीव संरचनाएं हैं जिन्हें अपनी संख्या बढ़ाने के लिए जीवित कोशिका की दरकार होती है. भले वायरस निर्जीव माना जाये पर इसमें उद्विकास की अद्भुत क्षमता होती है. अर्थात यह होस्ट कोशिका/पर्यावरण के बदलावों के अनुरूप अपनी अगली पीढ़ी को सक्षम बना सकता है. वायरस संरचना का मुख्य हिस्सा प्रोटीन कोट के भीतर छिपा हुआ एक जेनेटिक कोड होता है. यह जेनेटिक कोड या तो RNA या फिर DNA के रूप में होता है और बहुत ही सीमित सूचनाओं को कोड करता है. एक बार होस्ट कोशिका के भीतर पहुँच जाने के बाद कोशिका को अपने नियंत्रण में ले कर इसी कोड के दिशा निर्देशों के अनुरूप आगे का प्लान एक्सीक्यूट किया जाता है. कुछ वायरस में इस प्रोटीन कोट के बहार लिपिड और ग्लायकोप्रोटीन (gp) की एक अन्य परत होती है जो वायरस को होस्ट कोशिकाओं से जुड़ने की खास क्षमता करता प्रदान है.
तो यह जाहिर है कोई भी स्वस्थ कोशिका नहीं चाहेगी कि कोई वायरस उसके भीतर प्रवेश कर पाए. पर ऐसा संभव नहीं लगता. आमने सामने होने पर होस्ट कोशिका वायरस के सामने निर्बल प्रतीत होती है. अब तक ऐसी कोई भी क्रियाविधि ज्ञात नहीं जिससे कोशिका वायरस को खुद से चिपकने और भीतर प्रवेश करने से रोक पाए.
तो अब जबकि वायरस कोशिका के भीतर प्रवेश कर चुका है, असल जंग शुरू होती है. और यह जंग ऐसी वैसी जंग नहीं बल्कि मरने मारने की जंग है, जिसमें दया या समझौते का कोई स्थान नहीं.
कोशिका के भीतर
हमारा प्रतिरक्षा तंत्र सबसे पहले ऐसी कोशिकाओं को ढूंढ कर नष्ट करना शुरू कर देता है जिनके भीतर वायरस पहुँच चुका है (और उसने कोशिका को नियंत्रण में ले लिए है). पर यह पहचान कैसे हो? इसके लिए शरीर में बाय डिफाल्ट एक प्रोग्रामिंग सेट रहती है. किसी भी कोशिका के भीतर क्या चल रहा है, उसकी एक झलक उसकी सतह पर प्रदर्शित होती रहती है. यह काम एक खास प्रकार का प्रोटीन, जिसे मेजर हिस्टोकम्पैटीबिलिटी काम्प्लेक्स-1 कहा जाता है के माध्यम से होता है. हिस्टोकम्पैटीबिलिटी काम्प्लेक्स-1 कोशिका के भीतर के पेप्टाइडस को भीतर से ला कर सतह पर प्रदर्शित करते रहते हैं. यानि अगर कोशिका के भीतर वायरस के गुणन से उत्पन्न पेप्टाइड अदि हैं तो वे कोशिका की सतह पर प्रदर्शित होने लगेंगे.
ऐसी कोशिकाओं को, जिनकी सतह पर बहरी प्रोटीन के निशान मैजूद हों, उन्हें लगातार निगरानी करने वाली कोशिकाएं जिन्हें साइटोटोक्सिक T-सेल्स कहा जाता है नष्ट करना शुरू कर देती हैं. साइटोटोक्सिक T-सेल्स की अपनी सतह पर मौजूद T-सेल रिसेप्टर (TCRs) की सहायता से यह पहचान करती हैं कि कोशिका किसी वायरस के कब्जे में तो नहीं है. T-सेल रिसेप्टर, अनेकों प्रकार के होते हैं अतः हर बाहरी अणु को ढूँढने के लिए अलग साइटोटोक्सिक T-सेल्स शरीर में होती हैं. जैसे ही साइटोटोक्सिक T-सेल्स को यह पता चलता है की किसी कोशिका के भीतर वायरस की एक्टिविटी चल रही है, यह उस कोशिका को नष्ट करने के लिए जैव रासायनिक तत्वों (सायटो टॉक्सिक फैक्टर्स) का स्त्रावण कर इन्फेक्टेड कोशिकाओं को नष्ट कर देतीं हैं. साइटोटोक्सिक T-सेल्स, ऐसी कोशिकाओं के संपर्क में आने पर कुछ अन्य केमिकाल्स जैसे इंटरफेरॉन-g, ट्युमर नेक्रोसिस फैक्टर-a और अन्य सिग्नलिंग molecules का निर्माण करती हैं जिससे अन्य कोशिकाओं तक यह सन्देश पहुचाया जा सके की हमला हुआ है.
साइटोटोक्सिक सेल्स द्वारा निर्मित इंटरफेरॉन का वायरस के प्रति प्रतिरक्षा में खास रोल है. तुलनात्मक रूप से छोटे आकार के ये प्रोटीन वायरस का गुणन रोकते हैं. इंटरफेरॉन के प्रभाव में आने से कोशिकाएं ज्यादा संख्या में मेजर हिस्टोकम्पैटीबिलिटी काम्प्लेक्स-1 का निर्माण शुरू कर देती हैं, जिससे साइटोटोक्सिक T-सेल्स के तलाशी अभियान में मदद मिलती है.
पर जैसा की हमने शुरू में जाना कि वायरस भले ही निर्जीव माने जाएँ, उनमें इवोल्व होने की क्षमता होती है. कई वायरस इस राज खोलने वाले मेजर हिस्टोकम्पैटीबिलिटी काम्प्लेक्स-1 के निर्माण को रोक देने की क्षमता रखते हैं. ऐसी स्थिति में साइटोटोक्सिक T-सेल्स क्या कर पाएंगी?
अगर ऐसा हुआ तो ऐसी कोशिकाएं जिनपर मेजर हिस्टोकम्पैटीबिलिटी काम्प्लेक्स-1 के मॉलिक्यूल कम मात्र में प्रदर्शित हो रहे हैं उन्हें खास तरह ही प्रतिरक्षा कोशिकाएं, जिन्हें नेचुरल किलर सेल्स (NK सेल्स) कहा जाता है, शक की बिना पर मार देती हैं. ये कोशिकाएं कई मारक जैव अस्त्रों से लैस होती हैं जो कोशिका में छेद करने (पर्फोरिन) और उसे पूरी तरह विघटित (ग्रेनजाइम, ग्रेनुलायसिन) करने में सक्षम होटे हैं.
इसी दौरान इस वायरस के खिलाफ शरीर की प्लाज्मा कोशिकाओं द्वारा एंटीबॉडीज का निर्माण कर लिया जाता है. खास एंटीजन (इस केस में विशिष्ट वायरस) को पहचानने और पकड़ने में सक्षम एंटीबॉडीज, विशेष प्रकार के ग्लायकोप्रोटीन अणु होते हैं. एंटीबॉडीज पूरे शरीर में रक्त के माध्यम से फ़ैल जाती हैं. उस खास वायरस के संपर्क में आने पर कर ये एंटीबॉडीज उससे चिपक जाती हैं जिसके फलस्वरूप वायरस अब होस्ट कोशिका से चिपकने के लिए अक्षम हो जाता है. एंटीबॉडीज और वायरस पार्टिकल्स के चिपकने से तुलनात्मक रूप से एक बड़ा अग्रीगेट बनता है जिससे प्रतिरक्षा कोशिकाओं (फेगोसाइट्स) द्वारा वायरस को निगलना और निपटान करना आसान हो जाता है. एंटीबॉडीज, हमारे प्रतिरक्षा तंत्र के कॉम्प्लीमेंट सिस्टम के साथ मिलकर वायरस की बहरी सतह पर मौजूद लिपिड की परत को भी नष्ट करती हैं. दशकों तक इन खास एंटीबाडीज की उपलब्धता बनी रहे इसलिए मेमोरी-B कोशिकाओं में इनके निर्माण की जानकारी सुरक्षित रख ली जाती है.
एक्यूट इन्फेक्शन होने पर हमारा प्रतिरक्षा तंत्र कुछ ही हफ़्तों में यह सारा कार्य संपन्न कर हमें वापस स्वस्थ कर देता है. इसलिए डरने की जगह लगातार युद्धरत, प्रकृति प्रदत्त शरीर रुपी मशीन पर भरोसा रखिये, सावधानी बरतिए और प्रतिरक्षा तंत्र, जो कि हमारे शरीर का अभिन्न हिस्सा है सुचारू बनाये रखने के लिए खान पान रहन सहन में ज्यादा से ज्यादा प्रकृति अनुकूल बने रहिये .

– पुष्पेंद्र अवधिया (पीएचडी, लाइफ साइंस)

(पहला चित्र, कोरोना वायरस अपनी टारगेट होस्ट सेल की सतह पर, दूसरा चित्र एक B कोशिका यानी लिम्फोसाइट का)

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